बारिश में निकलने वाला ये कीड़ा देसी वियाग्रा है।

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यह कीड़ा सिर्फ सावन के महीने में ही निकलता है।

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इसें देसी भाषा में सावन की ढोकरी कहा जाता है।

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इस कीड़े की लंबाई सिर्फ 1 सेमी तक  होती है।

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सावन की ढ़ोकरी का आयुवेर्दिक महत्व  भी है।

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यह कीड़ा कसैले रस वाला, गरम प्रकृति का होता है।

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इस कीड़े को सुखा कर दवाई बनाई जाती है।

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इसका उपयोग वात, कफ तथा दमा ठीक करने में किया जाता है।

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इस कीड़े को दूध के साथ पीसकर शिथिल स्तन पर लेप करने से गुप्त रोग ठीक होते हैं।

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औषधीय गुणों की वजह से इसें देसी विभाग्रा भी कहा जाता है।