पृथ्वीराज चौहान महान सेनानायक थे

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अपने पूरे जीवनकाल में उन्होंने कई युद्ध लड़े।

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पृथ्वीराज चौहान इतने वीर थे कि वे किसी से भी हार नहीं सकते थे।

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कुछ गलतियों के कारण उन्हें हार का मुह देखना पड़ा।

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पृथ्वीराज चौहान ने अपने साथियों पर आंख बंद कर भरोसा किया।

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1191 में तराइन के युद्ध में जीतने के बाद पृथ्वीराज चौहान आराम की मुद्रा में आ गए थे।

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1191 में तराइन के युद्ध में जीतने के बाद पृथ्वीराज चौहान आराम की मुद्रा में आ गए थे।

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इस वजह से मुहम्मद गौरी को 1192 में दूसरे युद्ध में तैयारी का मौका मिला।

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दूसरे युद्ध में गौरी ने चौहान सेना पर रात को हमला किया जब सेना सो रही थी।

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इसके लिए पृथ्वीराज चौहान की सेना बिल्कुल भी तैयार नहीं थी।