जयपुर के 10 किलो सोने से बने ताजिये पर कर्बला का नक्शा है

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जयपुर के ताजिये को राजा रामसिंह ने बीमारी से ठीक होने पर बनवाया था।

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जयपुर का सोने से बना तामीर ताजिया साल 1868 में राजघराने ने समाज को दिया था।

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जयपुर के ताजिये में 200 किलो शीशम की लकड़ी लगी है, यह विरासत का हिस्सा है।

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जयपुर के ताजिये में 10 किलो सोना और 60 किलो चांदी लगी है।

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मोहर्रम पर जयपुर में ताजिये को 21 हाथियों की सलामी दी जाती है।

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जयपुर के ताजिये को मोहल्ला माहवतान की देखरेख में रखा गया है।

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जयपुर का ताजिया 2 सरपंच और 11 पटेलों  की देखरेख में निकाला जाता है।

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इस ताजिये को मोहर्रम पर आगरा रोड़ स्थित कब्रिस्तान ले जाया  जाता है।

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सोने के ताजिये को ठंडा करके हरफूल वापस  लाया जाता है।